जापानी एनसेफेलिटिस : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जापानी इंसेफेलाइटिस एक मच्छर जनित बीमारी है जो जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के कारण होती है और मुख्यतः क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फैलती है। मनुष्यों को वायरस के आकस्मिक मेजबान माना जाता है, अर्थात, वायरस मुख्य रूप से जानवरों, जैसे सूअर और पानी के पक्षियों (बगुलों, एग्रेट्स आदि ) को संक्रमित करता है। यह वायरस बहुत लंबे समय तक मनुष्यों में नहीं रहता है और आमतौर पर बहुत कम मात्रा में मौजूद होता है, इसलिए खून चूसनेवाला मच्छर संक्रमित व्यक्ति से वायरस नहीं ले सकता है और और न ही इसे किसी अन्य व्यक्ति में फैला सकता है। यह बीमारी एशिया और पश्चिमी प्रशांत के ग्रामीण इलाकों तक सीमित है।
जापानी एन्सेफलाइटिस के अधिकांश मामले कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं। दूसरों में (1% से कम), संक्रमण से सिरदर्द या मेनिनजाइटिस (ब्रेन टिश्यू की सूजन) जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं। अन्य लक्षणों में बुखार, उद्वेग, गर्दन की जकड़न, भटकाव, कंपकंपी, लकवा और समन्वय की कमी शामिल हैं। गंभीर मामलों में या अनुपचारित छोड़ दिए जाने पर, जापानी एन्सेफलाइटिस स्थायी नर्वस सिस्टम को नुकसान और / या मृत्यु का कारण बन सकता है।
जापानी एन्सेफलाइटिस के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है; लक्षणों का उचित प्रबंधन महत्वपूर्ण है। इसमें दर्द निवारक दवाओं का उपयोग, बुखार कम करने के लिए दवा और बहुत सारे तरल पदार्थ शामिल हैं। आमतौर पर न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाने वाले रोगियों को अवलोकन और देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।
जापानी इंसेफेलाइटिस के लिए व्यावसायिक रूप से एक टीका उपलब्ध है।यह 2 महीने से अधिक उम्र के लोगों में उपयोग के लिए अनुमोदित है। उन लोगों के लिए इसकी सिफारिश है जो 30 दिनों से अधिक समय स्थानिक क्षेत्रों में या ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जापानी इंसेफेलाइटिस आम है, बिताने की योजना बना रहे हैं। टीके की 2 खुराक होती हैं, जो 28 दिनों के अंतराल से दी जानी चाहिए। दूसरी खुराक इन क्षेत्रों की यात्रा से एक सप्ताह पहले तक नहीं दी जानी चाहिए। जापानी एन्सेफलाइटिस के लिए टीकाकरण के बारे में कोई प्रश्न हो कृपया डॉक्टर की सलाह लें । गर्भवती महिलाओं को आमतौर पर टीका नहीं लगवाना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
जापानी एन्सेफलाइटिस का निदान एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाले देशों के रोगियों के सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ) की जांच करके किया जा सकता है।
जापानी एन्सेफलाइटिस मुख्य रूप से क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फैलता है।, घर के अंदर और बाहर दोनों जगह इन मच्छरों से सुरक्षित रहना महत्वपूर्ण है। घर के बहार कदम रखने से पहले, पर्सनल रिपेलेंट्स जैसे गुडनाईट फैब्रिक रोल-ऑन (या गुडनाईट कूल जेल / गुडनाईट पैचेस) का उपयोग मच्छरों के काटने से बचा सकता है। जब घर पर हों, तो शाम को दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दें, और घरेलू स्तर के रिपेलेंट जैसे गुडनाईट एक्टिव+ और गुडनाईट फास्ट कार्ड का उपयोग रात भर मच्छरों को दूर रख सकता है। अधिक सुरक्षा के लिए मच्छरदानी का प्रयोग कर सकते हैं।
जापानी एन्सेफलाइटिस ग्रामीण और पेरी-अर्बन [निम-शहरी ] क्षेत्रों में पाए जाने वाले क्यूलेक्स मच्छर द्वारा फैलता है। क्यूलेक्स मच्छर रात के समय काटते हैं। वे प्रदूषित पानी, खाइयों, धान के खेतों में या पानी में पनपने वाली वनस्पतियों में प्रजनन करना पसंद करते हैं। ये प्रजातियां आमतौर पर मवेशियों, सूअर और पक्षियों को काटती हैं, और यदि एक ही वातावरण में या इन जानवरों के करीब हैं, तो वे मनुष्यों को काट सकते हैं – जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसान या लोग जहाँ कृषि गतिविधियाँ होती हैं ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) और नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम ऑफ इंडिया (एनवीबीडीसीपी) के संकेतस्थल जापानी इंसेफेलाइटिस, इसके लक्षण और उपचार के बारे में अद्यतन जानकारी प्रदान करती हैं। अगर आप कभी सरदर्द, उद्वेग, गर्दन की जकड़न, भटकाव या अन्य कोई न्यूरोलॉजिकल समस्या का अनुभव करें तो कृपया स्थानीय चिकित्सक, स्वास्थ्य क्लिनिक या स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से परामर्श करें।
सूत्र:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)
रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी)
नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी)