हम सभी को याद है, कुछ साल पहले भारत में चिकनगुनिया की चौंका देने वाली लड़ाई जिससे दहशत की स्थिति पैदा हो गई थी। जिस तरह से इस शब्द का उच्चारण किया जाता है , उस वजह से कुछ लोगों का उस समय यह भी मानना था कि इस बीमारी का चिकन से कुछ सम्बन्ध है। इस बीमारी से जुड़े कल्पित अनुमानों की वजह से तथ्य और कल्पनाओं में अंतर करना मुश्किल हो गया है। इस लेख में हम जानेंगे कि चिकनगुनिया क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इस बीमारी को रोकने के लिए कौन कौनसी सावधानियां बरतनी हैं। किमाकोंडे भाषा से लिया गया शब्द – चिकनगुनिया , जिसका अर्थ है रुकावट पैदा करना, इस बिमारी के लक्षण का उपयुक्त वर्णन है क्यूंकि इससे जोड़ों के दर्द से होनेवाली शारीरिक हलचल में रुकावट पैदा होती है। 1952 में इसका पहला प्रकोप दक्षिणी तंजानिया में हुआ था परन्तु भारत, अफ्रीका और एशिया में चिकनगुनिया के मामले दर्ज किए गए हैं ।
एक आरएनए वायरस जिसका सम्बन्ध टोगाविरदै [Togaviridae] अल्फावायरस जीनस से है , चिकनगुनिया वायरस का संक्रमण एडीज एजिप्टी या एडीस एल्बोपिक्टस मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर डेंगू और ज़िका को भी संक्रमित करते हैं। संक्रमित होने पर इसके लक्षण 2 से 12 दिनों के बीच कभी भी दिखाई दे सकते हैं। कुछ मामले स्पर्शोन्मुख भी रह सकते हैं।
चिकनगुनिया के लक्षण
चिकनगुनिया का सबसे मुख्य लक्षण बुखार है। चिकनगुनिया बुखार के लक्षण सामान्य बुखार से भिन्न होते हैं क्योंकि यह बुखार जोड़ों के तीव्र दर्द के साथ होता है। इसके अलावा, जी मिचलाना, दाने, सिरदर्द और थकान भी सामान्य लक्षण हैं। ज़िका और डेंगू के लक्षणों में समानता के कारण चिकनगुनिया का निदान गलत होने की संभावना है। गंभीर मामलों में न्यूरोलॉजिकल, रेटिनल और कार्डियोलॉजिकल उलझने भी हो सकती हैं। इस बीमारी से प्रभावित युवा लोगों के मुकाबले वृद्ध लोगों का ठीक होना मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहां लोग वर्षों तक जोड़ों के दर्द के साथ रहते हैं।
चिकनगुनिया में देखभाल
चिकनगुनिया का कोई इलाज या विशिष्ट उपचार नहीं है और न ही बीमारी से बचने के लिए कोई टीका उपलब्ध है। इस लिए लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
चिकनगुनिया का निदान
निदान की पुष्टि के लिए, प्रयोगशाला में परीक्षण की आवश्यकता होती है। एक एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट परख परीक्षण चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण की पुष्टि होती है और लक्षणों के अनुसार इलाज किया जा सकता है। यदि आप ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण से प्रभावित हों तो कृपया तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
चिकनगुनिया नियंत्रण हेतु सावधानियां
सावधानी बरतें और चिकनगुनिया से बचें।